550 प्लॉट बिके, एक घर भी नहीं बना

नाहन (सिरमौर)।(दीप राम) यदि आप नाहन में ‘अपना घर’ बनने की सोच रहे हैं तो एक बार जरूर सोच लीजिए। दो वर्ष में ही मकान निर्माण की सामग्री से लेकर जमीन एवं दिहाड़ी में कई गुणा इजाफा हो चुका है। नाहन शहर और उसके आसपास जरजा, यशवंत विहार, रामकुंडी, बनोग, चीड़ावाली, जमीरिया, आईटीआई कालोनी, कांशीवाला आदि क्षेत्र में करीब 550 प्लॉट बिके हुए हैं। इनमें से एक भी घर अभी तक नहीं बन पाया है। जहां पर लोग ‘अपना घर’ बनाने का संपना संजोए हैं। लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण नौकरीपेशा लोग भी बैंकों से ऋण लेने का झोखिम नहीं उठा पा रहे हैं। गत्ताधार निवासी प्रताप सिंह रावत नेबताया कि उन्होंने नाहन में जमीन खरीदी है, लेकिन केंद्र सरकार की कमरतोड़ महंगाई के कारण मकान बनने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। दो वर्षों में महंगाई दो गुना हो गई है। शिलाई की विमला ठाकुर ने कहा कि तीन साल से वह अपना मकान नहीं बना पा रहे हैं। नाहन निवासी संजय कुमार,विनोद ठाकुर, पंकज कुमार शर्मा, विशाल सिंह, विनोद राणा आदि ने बताया कि जो रेता पहले नाहन में सस्ता मिलता था वह अब महंगा हो गया है।
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वस्तुएं फरवरी, 2012 फरवरी, 2014
ईंट (प्रति हजार) 3000-3400रु. 5400-5500 रु.
सरिया (एक क्विंटल) 3200-3300रु. 4350-4400रु.
सीमेंट (एक बैग) 270-280 रु. 320-325 रु.
रेता (प्रति ट्राली) 500-600 रु. 1300-1500रु.
बजरी (प्रति ट्राली) 700-800रु. 1500-600रु.
जमीन रेट (प्रति बिसवा) 1-1.75 लाख 2.72- 4 लाख रुपये
मजदूरी (मिस्त्री-1) 400-500 रु. 700- 800 रु.
सटरिंग सामान (दो कमरे) 2500 रुपये 4000 रुपये

पिछले पांच सालों में महंगाई 10 गुणा बढ़ी है। गरीब तबके एवं किसानों में एक कमरा बनाने की भी अब हिम्मत नहीं है। इसके लिए केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेवार हैं।
-संतोष कपूर, राज्य अध्यक्ष जनवादी महिला समिति

केंद्र की यूपीए सरकार की प्रायोजित महंगाई की मार करोड़ों देशवासी झेल रहे हैं। आमजन के प्रति कांग्रेस की बेरुखी से करोड़ों लोगों के घर के अरमानों पर पानी फिर गया है।
-वीरेंद्र कश्यप,सांसद,शिमला निर्वाचन क्षेत्र

निर्धारित रेट ही वसूला जाता है:ईओ
नगर परिषद नाहन के कार्यकारी अधिकारी एसएस नेगी ने बताया कि नप क्षेत्र में भवन संबंधी जो भी नक्शे आते हैं, उन्हें आम बैठक में रखा जाता है। जो रेट निर्धारित हैं उसे ही लिया जाता है।

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